अन्र्तराष्टीय महिला दिवस कार्यक्रम

8 मार्च 2015 को सामसजिक विकास संस्थान चित्रकूट में अन्र्तराष्टीय महिला दिवस  कार्यक्रम का आयोेजन किया गया। कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि अक्षय लाल मुख्य न्यायिक महोदय जी रहे।

इस कार्यक्रम में सीतापुर ग्रामीण चितरा चैगलिया बाजार मालकाना से लगभग 100 महिलाये भाग लिया ।
कार्यक्रम का संचालन परिवार परामर्श की परामर्शी श्रीमति रीता सिंह जी ने किया ।

अधिवक्ता अनिल कुमार श्रीवास्तव जी द्वारा आये हुए विशिष्ट अतिथियो का परिचय कराया गया। माननीय जज साहब श्री प्रशांत विलगइया जी ;जूनियर डिवीजन ।

श्रीमती रीता सिंह परिवार परामर्श केन्द्र जी के द्वारा आये हुये अन्र्तराष्टीय महिला दिवस के अवसर पर सभी बहनो भााईयो का स्वागत करते हुये महिलाओं के हित में कौन कौन से कानून बने हैं। कैसे हम बहने अपनी सुरक्षा कर सकते हैं। कैसे अपने हित के लिए लाभ ले सकते हैं। सभी जानकारी आपको जज साहब देगें।

सर्व प्रथम मां सरस्वती की प्रतिमा पर विशिष्ठ अतिथि द्वारा दीप प्रज्वलित एवं पुष्प् अर्पण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।
आये हुये विशिष्ठ अतिथियों का रीता सिंह जी के द्वारा पुष्पगुच्छ से स्वागत किया गया। और बहनो के द्वारा एक होली गीत प्रस्तुत किया गया। घर आाये सजन खेलय होरी ………………….

अविवक्ता अनिल कुमार श्रीवास्तव जी ने बताया कि यदि किसी महिला के साथ दुर्यव्यपहार होता हैं।तो दुर्यव्यवहार करने वाला व्यकित वह किसी तरह बच नही सकता इसके लिए महिलाओ को अपने अधिकारो को जानना होगा। इसके लिए न्यायालय में बहुत अच्छी निशुल्क व्यावस्था की गई हैं। जिनके घर में विवाद होता हैं परिवार में विवाद होता हैं।या किसी महिला को दहेज के लिए प्रताडित किया जाता हैं। तो वह थाने को एक प्रार्थना पत्र दें। और यदि वहाॅ कुछ नही होता हैं। तो न्यायालय में आये यहाॅ मुकदमा कायम हो जायेगा।उसमे सब परेशान हो जायेगेंजमानत कराना पडेगा। और फिर सुधर जायेगें।

और यदि कोई महिला बहुत गरीब है। उसके पास वकील की फीस देने को पैसा नही हैं।तो न्यायालय उनके लिए निशुल्क अघिवक्ता उपलब्घ कराती हैं। इसके अलावा न्यायालय में यह भी सुविघा उपलब्घ हो गई हैं। कि जो मां बाप बहुत बुढढे हो जाते हैं। और वह कमा नही सकतेउनकी औलाद इतनी नालायक निकल जाती हैं। जो जमीीन होती हैं। हडप जाते हैं।मां बाप को अलग कर देते हैं तो उनके लिए मां बाप भी अपने बच्चो से भरन पोषण ले सकते हैं।शादी के बाद अगर लडकी को ससुराल में  नही रखते मायके में रहती हैं।

तो इसके लिए घारा 125 सी0आर0सी0सी0के तहत फेमिली कोर्ट में मुकदमादायर करेगें। इसके लिए भी आपको निशुल्क अविक्ता मिलेगे। इसमे अगर महिला अकेली हैं। तो कम से कम 1000 महीना मिलेगा। बच्चे को अलग से मिलेगा अगर न्यायालय द्वारा 125 का आदेश कर दिया गया। और पति ननही देता तो उसके लिए 125कृ3 के तहत वसूली की जायेगी। किसी महिला पुरूष की दुघर््ाटना हो जाती हैं। या मारपीट हो पर थाने जाते ह। तो एफ0आई0 आर ही लिखी जाती हैं।क्यों कि आप गरीब होते हैं। तो एक प्रार्थना पत्र एस0पी0 महोदय को रजिस्ट्री कर देना हैं। यदि वहाॅ भी कुछ नही होता तो घारा 156कृ3 के तहत मुकदमा काायम करा दीजिये। उसमे पकडे जायेगें तो जमानत कराना होगा। यदि किसी महिला को पुरूष घूरता हैं। तो उसके लिए भी कानून बना है। उसे जेल जाना पडेगा।

प्रशांत विलगैया जीकृने महिलाओं से जानकारी ली आपमे से कितनी महिलाओ के मुकदमे न्यायालय में चल रहे हैं। जिनमे से 05 महिलाओ ने हॅाथ उठाया। एक को पति लिवा नही जाता  एक का बटवारा का हहैं। दहेज का हैं।गुजारा भत्ता का बहु सास को प्रताडित करती हैं। प्रशंाात जी ने बताया कि परिवार में सास बहु के बीच छोटे मोटे झगडे आम दिदन होते रहते हैं। अगर हम छोटे छोटे झगडो को लेकर चैकी थाना कोर्ट कचहरी जायेगें। तो सभी लोग कोर्ट नजर आयेगें। इसके लिए हमारी पहली कोशिस होनी चाहिए कि हम बैठकर आपसी सुलह समझौता कर ले कोर्ट कचहरी का हमारा आखरी चरण होना चाहिए। छोटे छोटे विवादो को परिवार परामर्श केन्द्र से सुलह समझौता कराने की कोशिश करे अगर यहाॅ नही हो तो न्यायालय आापने बताया हैं। कि अभी तक जितने कानून थे। बहु के पक्ष मे थे लेक्नि अब सास के लिए भी कानून बन गये हैं।
एक महिलाअसे के लिए बहुत अच्छा कानून बना हैं। अगर किसी महिला या लडकी के साथ छेडछाड होती हैं। तो न्यायालय में मुकदमा दर्ज कराये इसमे जमानत नही होती यह गैर जमानती मुकदमा हैं। किसी महिला को पति द्वारा खाना खर्च नही दिया जाता तो वह 125 सी0के0सी0सी0 के तहत भरण पोषण पाने का अघिकार हैं। बूडे माॅ बाप विघवा महिलाये अपने बच्चो से भरण पोषण ले सकती हैं। इस प्रकार कई सारे कानून महिलाओ के कोर्ट मे बन चुके हैं। लेक्नि कानूनो से कुछ नही होने वाला हैं।जब तक महिला खुद शक्तिशाली नही बनेगी। महिलाये तभी आगे बढ पायेगी जब वो खुद शसक्त होगी।आप बेटियो को पढा लिखा कर आत्म निभर््ार बनाये।
स्ंाजय सिंह चैहान जी ने बातापा कि आप अन्र्तराष्टीय महिला सप्ताह हैं। पह दिवस हम क्यों मनाते हैं। इसकी क्यों आवश्यक्ता पडी इस पर आपने विस्तार से जानकारी दी। और नियम कानून परम्परा मूल मर्यादा कायदा कानून को ब्यवहारिक भाषा में समझाया।

ग्ुालाबी गैंग की क्षेत्रीय कार्यकर्ता रेखा निषाद ने बताया कि बुन्देलखण्ड में बलत्कार के मामले रोज बढते जा रहे हैं। महिलाओ के साथ हिंसा हो रही है। और महिलाये चुपचाप सहन कर रही हैं। इसलिए आज आपको अघिकार कानूनो के बारे जानना होगा और इसके लिए लडका होेेेेगा आपने बताया की हमने कई बार केश लेकर न्यायालय गये। लेक्नि एक बार मेें काम नही होता दो चार दिन तो ऐसे चला जाता हैं। आज नही अघिकारी नही फाइल तैयार करवाओं । इन्होने बतााया कि न्यायालय गुजारा भत्ता 1000 रूपये दिलाती हैं। लेक्नि 1000 रूप्ये में क्या होता हैं। झोला लेकर जाओ तो सब्जी खरीद कर चले  आओ। महिलाओ के लिए कोई रोजगार की ब्यावस्था होनी चाहिए। आपपपपपने कहा कि यदि कि यदि किसी महिला के साथ कोई घटना होती हैं। तो उसे जहर खाकर मरने की जरूरत नही हैं। बल्कि संघर्ष की लडाई लडना हैं। और फॅासी के फंदे तक ले जाना हैं।

अक्षयलाल मुख्य न्यायिक मजिस्टेट जी ने बताया की न्यायालय में जितने भी मुकदमे आते हैं। वो सब महिलाओ के आ रहे हैं। इसमे कितने मुकदमे सही हैं। कितने गलत हैं हम जानते हैं। कि ऐसा महिला ने नही किया यह फर्जी मुकदमा हैं। किसी न किसी कारण से ससुराल में किसी से अनवन हो गई हो। एक छोटी बच्ची हैं। पैदा हुई पढी माॅ बाप उसकी अच्छी तरह परवरिस किया खाना भी नही बनाने देती हैं। 18 वर्ष साथ रही आपने अच्छी तरह से पाला पोषा एक दिन शादी होके जा रही हैं। वो परिवार को जानती नही रात भर शादी में जगी महिलायें गीत गाना शुरू करती हैं। बच्ची सो नही पाती दूसरी पहली बार साडी पहनी जेवर आभूषण कही साडी में फसते हैं। इघर कान में फंसा कही उघर फंसा वह मानसिक रूप से परेशान घर में नई बहु आयी हैं। उसके हाथ का खाना सब लोग खायेगें उसे क्या पता उसके ससुर की दवा चलती हैं। नमक कम खाते हैं। सास चाय में चीनी कम पीती है। उसे किसी ने बताया नही उसने अपने हिसाब से बनाया नमक ज्यादा हो गया चाय में चीनी ज्यादा हो गयी ।तो सास कहती हैं। ये तो पहले दिन नाश कर दिया। इसको कुछ नही आता जाताा हैं। आप सोचे यदि अपनी बच्ची होती तीन दिन ऐसी स्थिति में रहने के बाद वह भी उलटा सीधा कर जाती लेक्नि इन बातो को लोग अपने दिमाक से निकाल देते हैं।
ननदी में देसी बहना की सूरत और सासू जी मेरी ममता की मूरत का उदाहरण देते हुये। आपने सोच के बारे बताया। अगर ऐसी सोच सभी की बन जाये तो 90 प्रतिशत समस्याये स्वतः हल हो जायेगीं। आपने जेण्डर भेद भाव की बात को देकर बताया कि एक लडका जब बाहर खेलने या बाजार जाता हैं। ताो को ध्यान नही देता लेक्नि जब एक ल्रडकी घर से बाहर निकलती हैं। तो उस पर सब चिन्तित होते हैं।कि बच्ची कहाॅ गयी। कोई घटना ना हाो जाये। अगर 18 साल की लडकी हैं। तो वह अपने साथ छोटा लडका लेकर जाती हैं। ताकि माम् बाप को तसल्ली रहे कि बच्चा हैं। और माॅ बाप को भी तसल्ली होती है। कि बच्चा साथ गया हैं। यही कारण हैं। कि बच्चियो को बचपन से कमजोर बनाया जाता हैं।
उसे अपना स्वम का निर्णय नही लेने दिया जाता हैं। सृष्टी की रचना कैसे हुई थी। इसका उदाहरण देते हुए महिलाओ में हिम्मत जगायी कि महिला क्या नही कर सकती है। यदि हर लडके के पिता जिसकी शादी हो रही हैं। वह यह सोच लें कि हम अपनी लडकी को दहेज देगें लेक्नि लडके की शादी में कुछ नही लेगें। अगर हर ब्यक्ति सोच ले तो क्या दहेज रह जायेगा।आपके संस्कार आपके विचार ही बच्चे को सभ्य बनाते हैं। अगर आप चाहे 24 घण्टे अपने पास बैठे रखे लेक्नि उससे कुछ नही होगा संस्कार अच्छे ना होने से बच्चे चोरी करने लगते है। तथा तरह तरह के अपराध करने लगते हैं। बच्चा पढा लिखा हैं। तो वह चोरी भी दिमाक से करेगा बडी चोरी करेगा। नटवर लाल पढा था वह किसी का हस्ताक्षर देकर बना देता था। और बैंक से पैसा भी निकाल लेता था।

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